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एलईडी (LED) बल्ब क्या हैंं- CFL से कैसे बेहतर हैं

बिजली की मदद से प्रकाश करने के तरीके में LED (एलईडी) सबसे नया आविष्कार है। LED बल्ब आज रोशनी के सबसे किफायती साधन हैं। ये बल्ब टिकाऊ होते हैं, इनका जीवनकाल लंबा होता है, इनमें बिजली की खपत कम होती है लेकिन रोशनी अधिक मिलती है।

एलईडी (LED) बल्ब क्या  हैं और कैसे काम करते हैं?

बिजली की मदद से प्रकाश करने के तरीके में एलईडी (LED) सबसे नया आविष्कार है। LED बल्ब आज रोशनी के सबसे किफायती साधन हैं। ये बल्ब टिकाऊ होते हैं, इनका जीवनकाल लंबा होता है, इनमें बिजली की खपत कम होती है लेकिन रोशनी अधिक मिलती है। प्रकाश के लिए इस्तेमाल होने वाले नए जमाने के इस आविष्कार के व्यापक प्रचलन से न केवल हमारे घरेलू बिजली बिल में भरपूर कमी आती है बल्कि बिजली उत्पादन के क्षेत्र में देश का बहुमूल्य संसाधन बचता है। आइए विस्तार से जानते हैं एलईडी (LED) बल्ब क्या हैं और कैसे काम करते हैं। और साथ ही यह भी, कि CFL (सीएफएल) और पारंपरिक टंगस्टम फिलामेंट बल्बों से ये कैसे अलग हैं।

एलईडी का फुल फॉर्म है- Light Emitting Diode, जो एक किस्म का सेमीकंडक्टर होता है जिसमें बिजली का प्रवाह होने पर photon के रूप में रोशनी पैदा होती है। इस प्रक्रिया में ताप का उत्सर्जन नाम मात्र को होता है और लगभग पूरी विद्युत ऊर्जा प्रकाश में परिणत हो जाती है। हालांकि सफेद प्रकाश देने वाले बल्ब के रूप में इसका इस्तेमाल नया है, लेकिन छोटे इंडीकेटर लाइट के रूप में विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में ऐसे डायोडों का प्रयोग कई दशकों से होता रहा है।

एलईडी बल्ब में इसी Light Emitting Diode का प्रयोग किया जाता है, जिस कारण इसे पर्याप्त प्रकाश उत्सर्जित करने के लिए बहुत कम मात्रा में बिजली चाहिए होती है। साथ ही, इससे सफेद शीतल प्रकाश (cool light) मिलता है क्योंकि इसमें पारंपरिक टंगस्टम फिलामेंट बल्ब के विपरीत फिलामेंट के अत्यधिक गर्म होकर लाल होने से प्रकाश उत्सर्जित करने की आवश्यकता नहीं होती।

अपनी इसी ऊर्जा दक्षता वाली उन्नत तकनीक के कारण आज एलईडी बल्ब प्रकाश के सबसे किफायती साधन के रूप में तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं। LED सेमीकंडक्टर की तकनीक इस्तेमाल होने के कारण ये बल्ब बेहद टिकाऊ होते हैं और इनका जीवन काल काफी काफी लंबा होता है। सेमीकंडक्टर यानी अर्धचालक सुचालक मेटल्स (धातु) और प्लास्टिक या लकड़ी जैसे कुचालकों के बीच के गुणधर्म वाले पदार्थ होते हैं।

एलईडी बल्ब में फ्यूज होने जैसी कोई समस्या लंबे समय तक नहीं आती, न ही बाहरी सफेद कवर के टूट जाने से ये काम करना बंद करते हैं। एलईडी बल्ब में बाहर से सामान्य बल्ब की तरह दिखने वाला जो गोल हिस्सा होता है वह केवल बाहरी खोल होता है जिसके अंदर LED होता है। इस बाहरी खोल के टूट जाने के बाद भी एलईडी जलता रह सकता है। इसलिए इस बाहरी आवरण के टूटने से भी ये बल्ब रोशनी देना जारी रखते हैं।

एलईडी (LED) बल्ब पारंपरिक टंगस्टन फिलामेंट बल्ब और CFL (सीएफएल) से कैसे बेहतर है?

टंगस्टन फिलामेंट बल्ब (incandescent bulb) के बारे में आपने ऊपर जाना कि यह टंगस्टन के बने फिलामेंट के गर्म होकर लाल होने से रोशनी देता है। इसमें बिजली ऊर्जा का एक बड़ा हिस्सा हीट (ताप) के रूप में बेकार चला जाता है और अधिक watt की खपत होती है। फिलामेंट कांच के गोलाकार खोल के अंदर बंद रहता है जिसके अंदर फिलामेंट को ऑक्सीजन से बचाने के लिए निर्वात (vacuum) होता है। कांच के टूटते ही बल्ब फ्यूज कर जाता है।

CFL (सीएफएल) बल्ब के अंदर पतली ट्यूब कुंडली या स्पाइरल की आकृति में होती है जिसके अंदर आर्गन गैस और बहुत थोड़ी मात्रा में पारे का वाष्प (मर्क्युरी वेपर) भरा होता है। इस गैसीय मिश्रण में विद्युत धारा प्रवाहित होने पर अल्ट्रावायलेट किरण पैदा होती है जो ट्यूब की भीतरी दीवार पर लगे पाउडर जैसे पदार्थ Phosphor (फोस्फर) को उत्तेजित कर दृश्य प्रकाश उत्पन्न करती है।

CFL (सीएफएल) बल्ब पारंपरिक टंगस्टन फिलामेंट बल्ब की तुलना में कम लेकिन LED बल्ब से अधिक बिजली खपत करती है। सीएफएल का जीवन काल पारंपरिक बल्ब की तुलना में अधिक लेकिन एलईडी बल्ब की तुलना में कम होता है। फ्यूज कर जाने की समस्या सीएफएल बल्बों में होती है और एलईडी बल्ब की तुलना में ये जल्दी खराब हो जाते हैं।

तीनों किस्म की बल्बों की तुलना करें तो पारंपरिक टंगस्टन फिलामेंट बल्ब आम तौर पर 1000 से 2000 घंटे चलते हैं, जबकि सीएफएल बल्ब 10,000 से 15,000 घंटे और एलईडी बल्ब लगभग 80,000-1,00,000 घंटे तक सेवा दे सकते हैं।

प्रायः एक 6 वाट का एलईडी बल्ब 60 वाट के साधारण बल्ब से अधिक रोशनी देता है। निर्माताओं के दावों की मानें तो एक सामान्य एलईडी बल्ब लगातार जलते रहने पर भी 10-15 साल तक चल सकता है। इस तरह, भले ही LED बल्बों की कीमत अन्य बल्बों की तुलना में अधिक होती है लेकिन बिजली की बचत और दीर्घकालीन टिकाऊपन के कारण ये कुल मिलाकर हमारे लिए बेहद किफायती साबित होते हैं और पर्यावरण के लिहाज से भी सर्वोत्तम हैं।

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