होवरक्राफ्ट क्या है?
ऐसे वाहन की कल्पना कीजिए जिसे जब चाहा जमीन पर चला लिए और जब चाहा पानी के ऊपर भी चला लिए! यानी, आप एक गाड़ी जमीन पर ऑफरोड ड्राइव करते हुए जा रहे हैं। चलते-चलते अचानक सामने पानी भरा इलाका आ जाता है और ऐसे में भी आप बिना फिक्र के गाड़ी बढ़ाते चले जाते हैं। गजब, आप अपनी गाड़ी पानी के ऊपर चलाते हुए आगे बढ़ते जा रहे हैं! कितना रोमांचक होगा न! जी हां, जमीन और पानी के ऊपर समान रूप से चलने वाली ऐसी गाड़ी सचमुच की होती है जिसे होवरक्राफ्ट (Hovercraft) कहते हैं। आइए जानते हैं होवरक्राफ्ट क्या है और होवरक्राफ्ट कैसे काम करते हैं।
असल में होवर (hover) का अर्थ है जमीन से ऊपर हवा में मंडराना या हवा में लटके हुए चलना और क्राफ्ट (craft), का अर्थ होता है यान। इस तरह होवरक्राफ्ट का अर्थ हुआ हवा में उठे हुए चलने वाली गाड़ी।
होवरक्राफ्ट कैसे काम करता है?
होवरक्राफ्ट एक ऐसा एम्फीबियन व्हीकल है जिसे जमीन, पानी, बर्फ, दलदल किसी भी सतह के ऊपर चलाया जा सकता है। इसमें पहिए यानी व्हील्स नहीं होते। यह वाहन हवा के गद्दों या एयर कुशन के ऊपर फिसल कर आगे बढ़ता है। शक्तिशाली फैन के जरिए वाहन के निचले हिस्से में, पेंदी में हवा उच्च दाब पैदा किया जाता है जिससे हवा का एक अदृश्य गद्दा (एयर कुशन) बनता है।
होवरक्राफ्ट देखने में राफ्टिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली चौड़े बॉटम वाली नाव की तरह होता है। एयर कुशन, यानी हवा का गद्दा इस वाहन को सतह से ऊपर उठाए रखता है। एयर कुशन के कारण वाहन की तली और उसके नीचे जमीन या पानी जैसी सतह के बीच घर्षण ना के बराबर होता है।
इस तरह यदि हवा के प्रेशर से सरफेस से ऊपर उठे वाहन को आगे की ओर जरा भी बाहरी बल से धकेल दिया जाए तो वाहन आगे की ओर चल पड़ेगा। बस यही है इस वाहन की गति का राज।
दरअसल, होवरक्राफ्ट के पिछले हिस्से में ताकतवर पंखे लगे होते हैं जो हवा को तेजी से पीछे की ओर फेंकते हैं और इससे पैदा होता है ताकतवर थ्रस्ट, जो न्यूटन के थर्ड लॉ ऑफ मोशन (गति के लिए न्यूटन का तीसरा नियम) की वजह से होवरक्राफ्ट को आगे की ओर धकेलता है।
होवरक्राफ्ट के इंजन का पावर सामान्य वाहनों की तरह पहिए को घुमाने के लिए नहीं होता बल्कि वाहन के नीचे हवा का कुशन बनाने और वाहन के पीछे तेज गति से हवा फेंकने के लिए होता है। तो, इस तरह होवरक्राफ्ट बिना पहियों के, हवा के गद्दे (एयर कुशन) की मदद से किसी भी सतह पर चल सकता है।
होवरक्राफ्ट का इतिहास
सर क्रिस्टोफर सिडनी कॉकरल ब्रिटिश इंजीनियर थे जिन्होंने 1954 में पहली बार होवरक्राफ्ट का प्रोटोटाइप तैयार किया। तब पहली बार, हवा के कुशन पर हवा के थ्रस्ट से चलने वाले बिना पहियों के वाहन की परिकल्पना साकार हुई। इस तरह, क्रिस्टोफर कॉकरल को होवरक्राफ्ट का आविष्कारक माना जाता है। यह छोटा सा प्रोटोटाइप था जिससे यात्रा नहीं की जा सकती थी।
आगे चलकर, ब्रिटेन में ही 1958 में एक व्यक्ति को यात्रा करा सकने की क्षमता वाला होवरक्राफ्ट बना। विकसित और बड़े होवरक्राफ्ट का उपयोग इंगलिश चैनल के आर-पार यात्रियों और माल की ढुलाई के लिए किया जाता रहा।
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होवरक्राफ्ट का उपयोग ज्यादातर सेना द्वारा किया जाता है। निजी कार्यों में इसका उपयोग अधिक व्यावहारिक नहीं है। फिर भी, एडवेंचर गतिविधियों में इसका इस्तेमाल किया जाता है। होवरक्राफ्ट की सामान्य स्पीड 50-60 किमी प्रति घंटा होती है। वैसे, इसकी टॉप स्पीड का रिकॉर्ड 137 किमी/घंटा रहा है।